कुदरत की अद्वितीय रचना होती हैं "माँ"
कुदरत की अद्वितीय रचना होती हैं " माँ " हर बच्चे के दिल की , जान होती हैं माँ। तप्ती हुई धूम में , छाँव होती हैं माँ।। दरिया की , नीर - प्रवाह होती हैं माँ। इस जहां की , भगवान होती है माँ।। काटो के पथ में , मखमल राह होती हैं माँ। हर सख्स की , पहली ज़ुबा होती है माँ।। जग की जननी , कलाकार होती हैं माँ। आदर्शो की सृजनकार , महान होती हैं माँ।। शब्द लघु हो जाते हैं , इतनी विशाल होती हैं माँ। सब रिश्तों से ऊपर , गुरुरे - ए - शान होती हैं माँ।। निवेदिता तिवारी।